`सुख` तुम्हें उतना ही मिलेगा जितना तुमने पुण्य किया होगा; परन्तु `शांति` उतनी ही मिलेगी जितनी घरवाली की इच्छा होगी!
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`सुख` तुम्हें उतना ही मिलेगा जितना तुमने पुण्य किया होगा; परन्तु `शांति` उतनी ही मिलेगी जितनी घरवाली की इच्छा होगी!
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